KUBERA: धनुष की दमदार परफॉर्मेंस और शेखर कम्मुला की थ्रिलर कहानी ने मचाया धमाल
Kubera फिल्म रिव्यू, खबर विस्तार से:
इस हफ्ते सिनेमाघरों में दो फिल्में चर्चा में रहीं—एक ओर आमिर खान की ‘सितारे ज़मीन पर’, और दूसरी ओर बहुभाषी (हिंदी, तमिल, तेलुगु) फिल्म ‘Kubera ‘, जिसमें धनुष मुख्य भूमिका में हैं। जहां एक फिल्म संवेदनशील सामाजिक मुद्दे को उजागर करती है, वहीं ‘कुबेरा’ समाज की आर्थिक असमानता, लालच और सत्ता की राजनीति पर करारा प्रहार करती है।
फिल्म की कहानी:
Kubera की शुरुआत होती है बंगाल की खाड़ी के गहरे समंदर से, जहां एक अत्यंत दुर्लभ तेल भंडार की खोज होती है। इस खोज की भनक लगते ही लालची उद्योगपति नीरज मित्रा (जिम सर्भ) इसे अपने आर्थिक और राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने की योजना बनाता है। वह अपने प्रभावशाली पिता (दलीप ताहिल) और नेताओं के साथ मिलकर एक बड़ा स्कैम रचता है। इसके लिए वह दीपक शर्मा (नागार्जुन) को नियुक्त करता है, जो कभी ईमानदार CBI अधिकारी था, लेकिन अब सिस्टम से टूटा हुआ और जेल की सजा काट चुका है।
दीपक इस स्कैम को अंजाम देने के लिए समाज के सबसे हाशिये पर खड़े भिखारियों को मोहरा बनाता है। इन्हीं में से एक है देवा (धनुष), जो मासूम, सरल और अपने हालातों से बेखबर है। स्कैम के बाद देवा के साथियों को मौत के घाट उतार दिया जाता है, लेकिन वह किसी तरह जान बचाकर भागता है। स्टेशन पर उसकी मुलाकात समीरा (रश्मिका मंदाना) से होती है, जो खुद धोखा खाई प्रेमिका है और धीरे-धीरे देवा की हमसफर बन जाती है।
इसके बाद फिल्म एक थ्रिलिंग सफर में बदल जाती है, जहां देवा और समीरा न सिर्फ अपनी जान बचाते हैं बल्कि सच्चाई को उजागर करने का भी प्रयास करते हैं।
निर्देशन और स्क्रिप्ट:
शेखर कम्मुला अपने रोमांटिक और सामाजिक फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन ‘कुबेरा’ में उन्होंने पूरी तरह से एक नया और गंभीर तेवर दिखाया है। उन्होंने न सिर्फ कहानी को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से गहराई दी है, बल्कि थ्रिलर का तीखा फ्लेवर भी जोड़ा है।
पहला हाफ तेजी से भागता है, जबकि सेकंड हाफ में कुछ जगहों पर कहानी थोड़ी धीमी हो जाती है, लेकिन इमोशनल एलिमेंट्स इसे संभाल लेते हैं। फिल्म का क्लाइमैक्स भावनात्मक है, हालांकि कुछ सवाल अंत में अनसुलझे रह जाते हैं।
तकनीकी पक्ष:
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सिनेमैटोग्राफी: निकेत बोम्मिरेड्डी का कैमरा कमाल करता है।
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बैकग्राउंड स्कोर: शक्तिशाली और प्रभावशाली।
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म्यूजिक: देवी श्री प्रसाद का संगीत काबिल-ए-तारीफ है। ‘जाके आना यारा रे’ गीत खासा लोकप्रिय हो रहा है।
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रनटाइम: 3 घंटे 4 मिनट की लंबाई फिल्म की गति पर थोड़ा असर डालती है।
अभिनय:
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धनुष (देवा): इस रोल के लिए उन्हें बेस्ट परफॉर्मेंस कहा जा सकता है। उनका मासूम और भावुक अभिनय दर्शकों को सीधे जुड़ाव देता है।
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नागार्जुन (दीपक): ग्रे शेड में उनका अभिनय संतुलित और दमदार है।
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रश्मिका मंदाना (समीरा): सरलता और संवेदनशीलता से भरा किरदार, उनकी स्क्रीन प्रेज़ेंस कमाल की है।
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जिम सर्भ: विलेन के रूप में एक बार फिर शानदार।
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दलीप ताहिल और सयाजी शिंदे: सपोर्टिंग रोल में प्रभावी।
क्या यह फिल्म देखनी चाहिए?
अगर आप गंभीर, संवेदनशील और थ्रिल से भरपूर फिल्में पसंद करते हैं, तो ‘Kubera ’ आपको जरूर देखनी चाहिए। यह फिल्म न सिर्फ मनोरंजन करती है, बल्कि सोचने पर भी मजबूर करती है। खासकर धनुष की परफॉर्मेंस और शेखर कम्मुला की नई शैली इसे यादगार बनाते हैं।
रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐☆ (4/5)
डिस्क्लेमर: यह समीक्षा पब्लिक स्रोतों और फिल्म के पहले शो के दर्शकों की प्रतिक्रियाओं पर आधारित है। रिव्यू लेखक की व्यक्तिगत राय को दर्शाती है। दर्शकों का अनुभव भिन्न हो सकता है।
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