इज़राइल का बड़ा ऑपरेशन: सालों की प्लानिंग, AI की मदद से ईरान पर हमला
एक क्लिक, एक जान:
“ये सिर्फ हमला नहीं था, एक सालों से चल रही साजिश का अंजाम था..”
दुनिया ने जब इज़राइल का ईरान पर हमला देखा, तो ज़्यादातर लोगों के लिए यह एक चौंकाने वाला पल था। लेकिन हकीकत इससे कहीं ज़्यादा गहरी और खामोश थी। यह हमला अचानक नहीं हुआ — इसके पीछे सालों की खुफिया तैयारी, तकनीकी रणनीति और मोसाद की परछाईं जैसी मौजूदगी थी।
सूत्रों के मुताबिक, यह ऑपरेशन एक लंबे प्लान का हिस्सा था जिसे इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद लगातार तैयार कर रही थी। असली मोड़ तब आया जब पिछले साल अक्टूबर में हुई एक एयरस्ट्राइक के दौरान इज़राइल को ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम की कई कमजोरियाँ नजर आईं।
यहीं से मिशन को रफ्तार मिली। इन कमज़ोरियों का गहराई से विश्लेषण किया गया और इसके बाद AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को युद्ध की रणनीति में शामिल किया गया।
AI की मदद से न सिर्फ दुश्मन की गतिविधियों पर नज़र रखी गई, बल्कि हमले की टाइमिंग, टारगेटिंग और रिस्क मैनेजमेंट को इतनी बारीकी से नियंत्रित किया गया कि सटीकता लगभग शून्य त्रुटि वाली बन गई।
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इज़राइल के इस तकनीकी और खुफिया मिशन ने दिखा दिया है कि अब जंग सिर्फ बंदूक़ों से नहीं, डेटा, एल्गोरिद्म और मशीन लर्निंग से भी लड़ी जा रही है। और शायद यही वो बदलाव है जिसने दुनिया की सेनाओं को फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है — कि कल की जंग कैसी होगी।