बेल की खेती

बंजर ज़मीन से भी होगी लाखों की कमाई! जानिए कैसे ‘बेल की खेती’ बना रही है किसानों को करोड़पति

21 जून 2025 | SamacharTimes24 विशेष रिपोर्ट

देशभर के लाखों किसान अब बंजर और अनुपजाऊ ज़मीन को भी कमाई का ज़रिया बना रहे हैं — और वो भी बिना ज्यादा लागत या सिंचाई के। ‘बेल की खेती’ (Bel Farming) ने एक नई उम्मीद जगाई है, जो अब आयुर्वेदिक उपयोग, औषधीय महत्व और वैश्विक मांग के चलते जबरदस्त मुनाफा देने वाली फसल बन चुकी है।

बेल क्या है और क्यों है इतनी डिमांड में?

बेल (Aegle marmelos) एक बहुगुणी फल है, जो शरीर को ठंडक, पाचन सुधार और आंतों की सफाई जैसे कई लाभ देता है। इसका उपयोग शरबत, मुरब्बा, चूर्ण, कैंडी, औषधि और जूस बनाने में बड़े पैमाने पर होता है। आज न केवल भारत, बल्कि विदेशों में भी बेल उत्पादों की भारी मांग है।

बेल की खेती: कम लागत, ज्यादा लाभ

  • बंजर ज़मीन भी चलेगी: बेल के पौधे सूखे, कम उपजाऊ और यहां तक कि बंजर ज़मीन पर भी उगाए जा सकते हैं।

  • कम पानी, ज्यादा उत्पादन: इसे ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती। बरसाती क्षेत्रों में तो सिर्फ मानसून के भरोसे भी फसल उगाई जा सकती है।

  • हर पेड़ देगा सोना: एक परिपक्व पेड़ सालाना औसतन 100–150 किलो फल देता है। बाजार में बेल का मूल्य ₹20 से ₹50 प्रति किलो तक है।

  • 20 साल तक मुनाफा: एक बार लगाया गया पेड़ 20–25 साल तक लगातार फल देता है।

किसानों की मेहनत और दूरदर्शिता ने अब बंजर ज़मीन को भी सोना उगलने लायक बना दिया है। गुजरात और राजस्थान जैसे सूखे और कठिन जलवायु वाले राज्यों के कई किसानों ने जब बेल की खेती शुरू की, तो उनकी किस्मत ही बदल गई। जो ज़मीन कभी अनुपयोगी मानी जाती थी, आज वहीं से लाखों रुपये की आमदनी हो रही है। इन किसानों ने न सिर्फ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि अपने साहस और नवाचार से पूरे गांव और अन्य किसानों के लिए एक मिसाल कायम की है।

‘बेल की खेती’धार्मिक और सामाजिक लाभ

बेल का महत्व सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि धार्मिक और सामाजिक रूप से भी बेहद खास है। इसे भगवान शिव को अर्पित किया जाता है और मंदिरों में इसकी निरंतर मांग रहती है। ऐसे में यदि गांव की कोई खाली जमीन हो — चाहे वह पंचायत की हो या मंदिर परिसर की — वहां बेल के पौधे लगाकर न सिर्फ धार्मिक पूर्ति की जा सकती है, बल्कि गांव के लिए एक स्थायी आय और रोज़गार का साधन भी तैयार किया जा सकता है। इस तरह बेल की खेती समाज, धर्म और अर्थव्यवस्था — तीनों में सकारात्मक बदलाव लाने का सशक्त माध्यम बन रही है।

1 एकड़ से कितनी होगी कमाई?

  • एक एकड़ ज़मीन में लगभग 100 से 120 बेल के पौधे लगाए जा सकते हैं।

  • चौथे साल से फल आना शुरू होता है।

  • हर पेड़ से सालाना ₹1,000–₹2,000 तक की आय।

  • यानी सिर्फ एक एकड़ से ₹1 लाख से ₹2 लाख तक की शुद्ध कमाई हर साल।

बेल की खेती कैसे शुरू करें?

  • रोपण समय: मानसून (जून-जुलाई) सबसे अच्छा समय है।

  • मिट्टी: रेतीली, दोमट या हल्की काली मिट्टी उपयुक्त है।

  • दूरी: पौधों के बीच 6×6 मीटर की दूरी रखें।

  • सिंचाई: शुरुआती 2 वर्षों तक हल्की सिंचाई पर्याप्त है।

  • खाद: जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट और नीम की खली का उपयोग करें।

कहां और कैसे बेचें बेल फल?

  • स्थानीय मंडियां

  • आयुर्वेदिक दवा कंपनियां

  • फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स

  • ऑनलाइन मार्केटप्लेस जैसे Flipkart/Amazon पर बेल पाउडर या बेल मुरब्बा

अगर किसान खुद बेल शरबत या मुरब्बा बनाकर ब्रांडिंग करें तो और ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।

सरकार भी दे रही मदद

राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM) और राज्य सरकारें बेल की खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और मुफ्त प्रशिक्षण दे रही हैं। किसान कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क करें।

क्यों है खास बेल की खेती

बेल एक बहुउपयोगी फल है। इसका उपयोग ना सिर्फ गर्मियों में शरीर को ठंडा रखने वाले जूस में होता है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधि भी है। इसके फल, पत्ते, बीज और छाल का इस्तेमाल आयुर्वेद में कब्ज़, पाचन, डिटॉक्स और अन्य रोगों के उपचार में किया जाता है। इस कारण से बाजार में बेल की खेती की मांग तेजी से बढ़ रही है।

🔹 बंजर ज़मीन का बेहतर उपयोग
🔹 कम लागत में अधिक लाभ
🔹 20 साल तक बिना दोबारा निवेश के कमाई
🔹 बढ़ती वैश्विक मांग
🔹 जैविक और सुरक्षित खेती

निष्कर्ष

अगर आप किसान हैं और अपनी ज़मीन को मुनाफे का जरिया बनाना चाहते हैं तो बेल की खेती आपके लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है। यह न केवल पर्यावरण के लिए अनुकूल है, बल्कि लंबे समय तक टिकाऊ आय देने वाला विकल्प भी है।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। कृपया खेती शुरू करने से पहले कृषि विशेषज्ञों या स्थानीय कृषि विभाग से सलाह अवश्य लें।

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