Bharat:-केंद्रीय सरकार की पहल
Bharat में केंद्रीय नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने राज्य सरकारों एवं सार्वजनिक उपयोगी संस्थाओं (state utilities) से स्वच्छ ऊर्जा की खरीद बढ़ाने की अपील की है। कई राज्यों में बिजली विभाग इन खरीद आदेशों को टाल रहे हैं, चाहे वो बिजली की कीमत को लेकर हो या बजट तथा अनुबंध की जटिलताओं के कारण।
स्वच्छ ऊर्जा मंत्रालय के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने यह बात एक ऊर्जा सम्मेलन में कही, जहाँ उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को बिजली की कीमतों में गिरावट का इंतजार न करना चाहिए। मंत्रालय जल्द ही एक दूसरा दौर की वार्ता आयोजित करेगा इस मुद्दे को सुलझाने के लिए।
कारण और चुनौतियाँ
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मूल्य की चिंताएँ: राज्य उपयोगी संस्थाएँ अक्सर स्वच्छ ऊर्जा की खरीद से पहले “Power Price” (यानी लागत) कम होने का इंतजार करती हैं क्योंकि पारंपरिक ऊर्जा (कोयला, गैस) अभी भी सस्ती लगती है।
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अनुबंध और नियामक बाधाएँ: नए अनुबंध तैयार करना, टेंडर प्रक्रिया, भुगतान शर्तें, विद्युत ग्रिड-इंटीग्रेशन जैसी तकनीकी और कानूनी पहलुओं पर देरी होती है।
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बजट और वित्तीय दबाव: राज्य उपयोगी संस्थाएँ अक्सर ऋण, नकदी प्रवाह (cash flow) की समस्या से जूझती हैं, जिससे वे महंगी परियोजनाएँ या नवीकरणीय ऊर्जा अनुबंध लेने में हिचकिचाती हैं।
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राजनीतिक और प्रशासनिक प्राथमिकताएँ: कुछ राज्यों में पारंपरिक ऊर्जा पर एवं उद्योग-क्षेत्रों पर ज़्यादा निर्भरता है, और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण की योजना पीछे रहती है।
संभावित लाभ (Bharat)
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पर्यावरणीय सुधार: स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग उत्सर्जन को कम करेगा और जलवायु परिवर्तन से जुड़े जोखिमों में कमी लाएगा।
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ऊर्जा सुरक्षा: स्वच्छ ऊर्जा स्रोत, जैसे सौर और पवन, स्थानीय होते हैं, जिससे ईंधन आयात पर निर्भरता घटेगी।
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नवोन्मेष एवं रोजगार: नई परियोजनाएँ, तकनीकी विकास और रख-रखाव, निर्माण आदि में नौकरियाँ बनेंगी।
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लम्बे समय में सस्ते विकल्प: जैसे-जैसे तकनीक सुधरेगी और क्षमता बढ़ेगी, स्वच्छ ऊर्जा की लागत पारंपरिक ऊर्जा की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी होगी।
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