Bihar Election 2025 से पहले 64 लाख वोटरों की होगी छुट्टी! जानिए क्या है SIR और क्यों मचा है बवाल
पटना/नई दिल्ली: बिहार चुनाव 2025 की तैयारी अब रफ्तार पकड़ चुकी है और इसकी शुरुआत हो चुकी है वोटर लिस्ट के शुद्धिकरण से। चुनाव आयोग (Election Commission) द्वारा Special Intensive Revision (SIR) के तहत बिहार की पुरानी वोटर लिस्ट से लगभग 64 लाख वोटरों का नाम हटाया जाना तय माना जा रहा है। यही नहीं, अब यह अभियान सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहेगा—अगस्त से पूरे देश में इसी तरह का गहन पुनरीक्षण शुरू किया जाएगा।
Bihar Election 2025: क्या है SIR और क्यों हो रही है इतनी चर्चा?
SIR यानी Special Intensive Revision एक विशेष प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य है –
“मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी, विश्वसनीय और अद्यतन बनाना।”
इस प्रक्रिया के तहत मृतक, पलायन कर चुके, दोहरी प्रविष्टि वाले या फर्जी मतदाताओं को हटाया जाता है। चुनाव आयोग ने 24 जून को ही इसके आदेश जारी कर दिए थे और 25 जून से 26 जुलाई तक बिहार में इसका पहला चरण चला।
Bihar Election 2025: 64 लाख वोटर क्यों हटाए जा रहे हैं?
बिहार में इस समय कुल 7.89 करोड़ पंजीकृत वोटर हैं। SIR के तहत आयोग ने अब तक 99.86% यानी 7.23 करोड़ वोटरों को कवर कर लिया है। इसी प्रक्रिया में यह स्पष्ट हुआ कि लगभग 64 लाख वोटर अब अयोग्य या अनुपलब्ध माने जा रहे हैं। इनमें शामिल हैं:
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जिनका एनुमरेशन फॉर्म नहीं लौटा है
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दो जगह पंजीकरण पाए गए
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घुसपैठिए या फर्जी नाम
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स्थायी रूप से राज्य छोड़ चुके लोग
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मृतक वोटर
इनका नाम मतदाता सूची से हटाया जाना तय है।
Bihar Election 2025: क्या जेनुइन वोटर भी कट सकते हैं? चुनाव आयोग ने दिया जवाब
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने साफ कहा है कि अगर किसी जेनुइन वोटर का नाम गलती से छूट गया है, तो घबराने की जरूरत नहीं।
“1 सितंबर तक कोई भी मतदाता अपना एनुमरेशन फॉर्म भरकर दोबारा सूची में नाम जुड़वा सकता है।”
Bihar Election 2025: देशव्यापी वोटर शुद्धिकरण की तैयारी
सूत्रों की मानें तो 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद देशभर में SIR के लिए तारीखों का ऐलान होगा। अगस्त से सभी राज्यों में यह प्रक्रिया लागू की जाएगी। EC का मानना है कि इससे लोकतंत्र की बुनियादी ईकाई यानी मतदाता की शुद्धता सुनिश्चित होगी।
क्या ये नागरिकता की जांच है? विपक्ष ने उठाए सवाल
SIR को लेकर विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि यह केवल वोटर लिस्ट नहीं, बल्कि ‘नागरिकता की जांच’ का दूसरा रास्ता है। उनका दावा है कि:
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यह NRC की तरह प्रक्रिया है
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गरीब और हाशिए पर खड़े लोगों से मतदान का अधिकार छीना जा रहा है
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लोगों को जानबूझकर सूची से हटाया जा रहा है
चुनाव आयोग का जवाब:
चुनाव आयोग ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है:
“क्या हम संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के बजाय फर्जी वोट डालने वालों को मौका दें?”
आयोग ने साफ किया कि किसी का नाम लिस्ट से हटना उसकी नागरिकता समाप्त नहीं करता। यदि जरूरत पड़ी तो संविधान और कानून के तहत दस्तावेज मांगे जा सकते हैं, ताकि मतदाता सूची की शुद्धता बनी रहे।
Bihar Election 2025: कानूनी अधिकार और प्रक्रियाएं
निर्वाचन आयोग का यह अभियान जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टोरल रूल्स, 1960 के प्रावधानों के तहत चल रहा है। इसके अंतर्गत:
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वोटर की योग्यता जांची जाती है
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वोटर सूची का वार्षिक पुनरीक्षण होता है
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नई प्रविष्टियों, सुधारों और विलोपन की प्रक्रिया निर्धारित है
समाप्ति: क्या यह लोकतंत्र की मजबूती या खतरे की घंटी?
इस पूरे अभियान को लेकर अब देश में दो विचारधाराएं उभरकर सामने आ रही हैं:
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एक पक्ष कहता है कि यह लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में एक साहसी कदम है
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दूसरा पक्ष इसे नागरिक अधिकारों के हनन की आशंका से जोड़कर देख रहा है
Sources: http://भारत निर्वाचन आयोग की आधिकारिक वेबसाइट – Special Summary Revision & Voter Services
लेकिन एक बात तय है—2025 का बिहार चुनाव और इसके बाद देश के अन्य चुनाव अब और ज्यादा डिजिटल, पारदर्शी और कड़ाई से नियोजित होंगे।
यदि आपका नाम वोटर लिस्ट से हट गया है, तो 1 सितंबर 2025 तक निर्वाचन फॉर्म जमा कराकर आप दोबारा नाम जुड़वा सकते हैं।
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