Bridge Collapse in Gujarat: महिसागर नदी में गिरा 40 साल पुराना पुल, प्रशासन पर उठे सवाल

Bridge Collapse in Gujarat: 40 साल पुराना गंभीरा पुल ढहा, 9 की मौत; प्रशासन की लापरवाही से टूटी जिंदगियां

Bridge Collapse in Gujarat: गुजरात के वडोदरा में बुधवार सुबह एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसने न सिर्फ कई जिंदगियां लील लीं, बल्कि सरकारी लापरवाही की भी पोल खोल दी। वडोदरा और आणंद जिलों को जोड़ने वाला गंभीरा पुल, जो महिसागर नदी पर बना था, अचानक ढह गया। इस हादसे में अब तक 9 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और कई वाहन नदी में गिर गए।
हादसे की भयावह सुबह

यह हादसा सुबह करीब 7:30 बजे हुआ जब पुल पर से दो ट्रक, एक बोलेरो और एक पिकअप वैन गुजर रहे थे। अचानक पुल का एक हिस्सा दो पिलर्स के बीच से ध्वस्त हो गया, जिससे वाहन सीधे नदी में गिर पड़े। मौके पर पहुंचे प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि तेज आवाज के साथ पुल टूटने की घटना घटी और फिर हर तरफ अफरा-तफरी मच गई।

Bridge Collapse in Gujarat: बचाव कार्य में जुटा प्रशासन

जैसे ही खबर फैली, वडोदरा जिला प्रशासन, पुलिस, फायर ब्रिगेड, और NDRF की टीमें मौके पर पहुंच गईं। वडोदरा कलेक्टर अनिल धमेलिया ने जानकारी दी कि अब तक 9 शव बरामद किए जा चुके हैं और 6 घायलों को बचाया गया है। इनमें से एक की हालत नाजुक बनी हुई है।

Bridge Collapse in Gujarat: पुल का इतिहास और प्रशासन की चूक

इस गंभीरा पुल का निर्माण वर्ष 1985 में हुआ था, यानी यह पुल लगभग 40 साल पुराना है। स्थानीय निवासियों और नेताओं का आरोप है कि पुल की हालत लंबे समय से जर्जर थी और बार-बार चेतावनियों के बावजूद इसकी उचित मरम्मत नहीं की गई

एक स्थानीय निवासी ने कहा,

“यह पुल न सिर्फ खतरनाक हो चुका था, बल्कि यहां आत्महत्या जैसी कई घटनाएं भी पहले हो चुकी हैं। लेकिन सरकार और प्रशासन ने चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया।”

Bridge Collapse in Gujarat: कांग्रेस का तीखा आरोप

कांग्रेस नेता अमित चावड़ा ने सोशल मीडिया पर हादसे को लेकर नाराजगी जताते हुए सरकार पर सीधे-सीधे लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि

“गंभीर चेतावनियों और पत्रों के बावजूद सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। यह हादसा प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है और इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए।”

Bridge Collapse in Gujarat: मुख्यमंत्री का आदेश

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने घटना पर दुख जताते हुए तकनीकी विशेषज्ञों की टीम को मौके पर भेजने और पुल गिरने के कारणों की जांच के निर्देश दिए हैं। सड़क एवं भवन विभाग के सचिव पीआर पटेलिया ने कहा कि विशेषज्ञ टीम जांच कर रही है और जल्द रिपोर्ट सौंपी जाएगी।

बड़ी सीख और भविष्य की मांग

इस हादसे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि राज्य में पुराने पुलों की सुरक्षा और निरीक्षण कितना मजबूत है? कांग्रेस ने राज्य के सभी पुलों का ऑडिट और फिटनेस सर्टिफिकेट सार्वजनिक करने की मांग की है।

“हर पुल का फिटनेस सर्टिफिकेट पब्लिक डोमेन में होना चाहिए ताकि जनता को पता रहे कि वह जिन पुलों से गुजर रही है, वे सुरक्षित हैं या नहीं।”

Vadodara Bridge Collapse एक दर्दनाक घटना है जो यह दिखाती है कि जब बुनियादी ढांचे की सुरक्षा को नजरअंदाज किया जाता है, तो नतीजे कितने भयावह हो सकते हैं। यह हादसा न सिर्फ मानव जीवन की क्षति है, बल्कि शासन-प्रशासन की जवाबदेही और पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है। जरूरी है कि अब सरकार महज जांच तक सीमित न रहे, बल्कि सभी पुलों की संरचनात्मक समीक्षा कर, भविष्य में ऐसे हादसों को टालने के लिए ठोस कदम उठाए।

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