CBSE: साल में दो बार होगी सीबीएसई 10वीं की परीक्षा, अप्रैल-जून में आएंगे नतीजे

नई दिल्ली: अगर आप या आपका बच्चा CBSE बोर्ड से 10वीं की पढ़ाई कर रहा है, तो यह खबर आपके लिए बहुत अहम है। CBSE (Central Board of Secondary Education) ने बड़ा बदलाव करते हुए यह फैसला लिया है कि साल 2026 से 10वीं की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाएगी।

यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि छात्रों पर एक ही बार में बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव न रहे और उन्हें नंबर सुधारने का मौका मिल सके।

अब साल में दो बार होगी परीक्षा

CBSE के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने जानकारी दी है कि:

  • पहली परीक्षा फरवरी में अनिवार्य रूप से आयोजित होगी।

  • दूसरी परीक्षा मई में वैकल्पिक रूप से होगी।

  • नतीजे पहली परीक्षा के अप्रैल में और दूसरी के जून में आएंगे।

यानी, अब छात्र अपनी तैयारी के अनुसार दो मौकों में से एक चुन सकते हैं और पहले प्रयास में कम नंबर आने पर उन्हें सुधार का दूसरा अवसर मिलेगा।

CBSE: पहली परीक्षा अनिवार्य, दूसरी परीक्षा वैकल्पिक

  • सभी छात्रों को पहली परीक्षा में बैठना जरूरी होगा।

  • अगर कोई छात्र पहली बार में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता, तो वह दूसरी परीक्षा में फिर से कोशिश कर सकता है

  • इस फैसले से उन छात्रों को बहुत राहत मिलेगी जो एक बार में बेस्ट परफॉर्म नहीं कर पाते।

सिर्फ 3 विषयों में मिलेगा सुधार का अवसर

छात्र गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और भाषा जैसे विषयों में से कोई भी तीन विषय दोबारा दे सकते हैं।

इसका मतलब यह है कि अब छात्र केवल उन्हीं विषयों की परीक्षा फिर से देंगे जिनमें वे कम नंबर आने से संतुष्ट नहीं हैं।

शीतकालीन सत्र के छात्रों को मिलेगी छूट

CBSE ने यह भी कहा है कि:

  • जो छात्र शीतकालीन सत्र (जैसे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, आदि) से हैं, उन्हें किसी भी एक परीक्षा में शामिल होने की छूट मिलेगी।

  • इससे ठंडे इलाकों में पढ़ने वाले छात्रों को परीक्षा में अधिक लचीलापन मिलेगा।

NEP 2020 का असर

यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत सुझाए गए सुधारों में से एक है।
नीति का लक्ष्य है:

  • छात्रों पर दबाव को कम करना

  • सीखने को अधिक प्रभावी बनाना

  • परीक्षा को सुधारात्मक और लचीला बनाना

CBSE: क्यों है यह फैसला छात्रों के लिए फायदेमंद?

छात्रों को दूसरी बार मौका मिलेगा सुधार के लिए
परीक्षा का दबाव कम होगा
लचीलापन मिलेगा – खासकर ठंडे इलाकों के छात्रों को
छात्र अब सिर्फ कमजोर विषयों में सुधार कर पाएंगे
आंतरिक मूल्यांकन सिर्फ एक बार होगा – जो फरवरी परीक्षा से जुड़ा रहेगा

CBSE का यह निर्णय आने वाले समय में शिक्षा की दिशा को और भी बेहतर बनाने वाला है। यह केवल परीक्षा प्रणाली नहीं बदल रहा, बल्कि छात्रों की सोच और आत्मविश्वास को भी नया आयाम दे रहा है।साल 2026 से शुरू हो रही इस व्यवस्था का मकसद यही है कि छात्र एक बार में न सही, लेकिन दूसरी बार में अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकें।

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