Donald Trump Tariff War: BRICS बना मजबूत दीवार, Dollar की बादशाहत पर मंडराया खतरा
अमेरिका और भारत के रिश्ते जिस तेजी से बदल रहे हैं, उससे साफ है कि दुनिया की राजनीति अब नए मोड़ पर पहुंच चुकी है। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे के तहत भारी-भरकम टैरिफ लगाकर भारत, चीन, रूस और ब्राजील जैसे देशों को सीधी चुनौती दी है। लेकिन नतीजा उल्टा पड़ा—BRICS अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और एकजुट होकर सामने आया है।
BRICS बना मजबूत दीवार
Donald Trump Tariff War: ट्रंप का टैरिफ और वैश्विक झटका
ट्रंप का तर्क है कि टैरिफ अमेरिका के “लगातार व्यापार घाटे” को रोकने और Dollar की ताकत बचाए रखने के लिए जरूरी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कदम वास्तव में अमेरिका को मजबूत बना रहा है या फिर उसके वैश्विक रिश्तों को कमजोर कर रहा है?
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी उपभोक्ताओं को अब महंगे दामों पर सामान खरीदना पड़ेगा और साझेदार देश अमेरिका से और दूर चले जाएंगे।
सीएनएन के फरीद जकारिया ने भी कहा—”भले ही ट्रंप आगे जाकर इस फैसले को वापस ले लें, लेकिन भारत का भरोसा अब वो कभी नहीं जीत पाएंगे।”
Donald Trump Tariff War: BRICS बना ट्रंप के खिलाफ दीवार
डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार कहा कि BRICS मूल रूप से अमेरिका-विरोधी देशों का समूह है। अब हालात वाकई उसी ओर बढ़ रहे हैं।
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भारत पर 25% टैरिफ
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ब्राजील पर 50% टैरिफ
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दक्षिण अफ्रीका पर 30% टैरिफ
ट्रंप का आरोप है कि भारत और चीन Dollar को कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं। लेकिन हकीकत यह है कि BRICS सिर्फ डॉलर पर निर्भरता खत्म कर “बहुध्रुवीय” आर्थिक व्यवस्था की ओर बढ़ना चाहता है।
Donald Trump Tariff War: भारत-चीन-रूस की जुगलबंदी
दिलचस्प बात यह है कि भारत, जो लंबे समय तक Dollar-केंद्रित नीति अपनाता रहा, अब खुलकर नए विकल्प तलाश रहा है।
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पीएम मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति लुला से ऊर्जा और तकनीकी सहयोग पर बात की।
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मोदी जल्द ही चीन जाकर शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे।
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NSA अजीत डोभाल पहले ही मॉस्को में पुतिन से मिल चुके हैं।
इन घटनाओं को मिलाकर देखें तो साफ पता चलता है कि BRICS अब केवल एक आर्थिक मंच नहीं बल्कि Dollar की बादशाहत के खिलाफ मजबूत राजनीतिक गठबंधन बन रहा है।
BRICS Official Portal →https://brics2025.gov.br
Donald Trump Tariff War: एक्सपर्ट्स की चेतावनी
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स का मानना है कि ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी “बुरी तरह से नाकाम” होगी। उनका कहना है कि यह नीति अमेरिका को वैश्विक अर्थव्यवस्था से अलग-थलग कर देगी।
पूर्व NSA जॉन बोल्टन ने भी चेतावनी दी—भारत पर सेकेंडरी टैरिफ लगाने से भारत और ज्यादा रूस-चीन के करीब जाएगा, जिससे अमेरिका की 25 सालों की मेहनत पर पानी फिर सकता है।
Dollar की उल्टी गिनती?
BRICS के नए कदम—
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स्थानीय मुद्राओं में व्यापार
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डिजिटल करंसी
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वैकल्पिक पेमेंट सिस्टम
यह सब मिलकर Dollar की ताकत को धीरे-धीरे कमजोर कर रहे हैं। अमेरिका का डर भी यही है कि अगर BRICS का यह मॉडल सफल हुआ तो Dollar की बादशाहत इतिहास बन सकती है।
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी शायद अल्पकालिक अमेरिकी राजनीति में वोट दिला दे, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से यह कदम अमेरिका के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। BRICS की एकजुटता इस बात का सबूत है कि दुनिया अब एक बहुध्रुवीय आर्थिक व्यवस्था की ओर बढ़ रही है, जहां Dollar की बादशाहत को सीधी चुनौती मिल रही है।
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