Gas Cylinder Price Hike?

Gas Cylinder Price Hike? इराण-इज़राइल युद्ध की मार, सिर्फ 16 दिन का स्टॉक, कीमतें बढ़ने की आशंका

नई दिल्ली:
मध्य पूर्व में छिड़ा इराण-इज़राइल युद्ध अब केवल एक क्षेत्रीय संघर्ष नहीं रहा, इसका असर अब भारत के आम लोगों की रसोई तक पहुंच चुका है। इराण के तीन मुख्य परमाणु ठिकानों पर अमेरिका द्वारा किए गए हवाई हमलों के बाद पश्चिम एशिया में तेल और गैस की आपूर्ति पर खतरे की घंटी बज चुकी है। विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले दिनों में भारत में एलपीजी (गैस सिलिंडर) के दाम तेजी से बढ़ सकते हैं, और संकट और गहरा सकता है।

भारत के पास सिर्फ 16 दिन का एलपीजी स्टॉक

एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के पास फिलहाल गैस सिलिंडर के लिए केवल 16 दिन का ही भंडारण शेष है। आयात टर्मिनल्स, रिफाइनरीज़ और बॉटलिंग प्लांट्स में जो स्टॉक मौजूद है, वह राष्ट्रीय औसत खपत के मुकाबले महज 16 दिन चल सकता है। ऐसे में यदि पश्चिम एशिया से गैस की आपूर्ति में रुकावट आई, तो भारत में एलपीजी की भारी किल्लत हो सकती है।

क्यों है एलपीजी आपूर्ति पर खतरा?

भारत अपनी 66% एलपीजी ज़रूरतें आयात के ज़रिए पूरी करता है, जिनमें से 95% सप्लाई पश्चिम एशिया के तीन देशों—सऊदी अरब, यूएई और कतर—से होती है। इराण और इज़राइल के बीच चल रहे युद्ध की वजह से इस सप्लाई चेन पर सीधा खतरा मंडरा रहा है। और जब युद्ध में अमेरिका भी कूद चुका हो, तो स्थिति और अधिक चिंताजनक हो जाती है।

महंगाई की चेतावनी: एलपीजी के दाम जल्द बढ़ सकते हैं

विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे ही आपूर्ति बाधित होगी, एलपीजी की कीमतें आसमान छूने लगेंगी। पहले से ही घरेलू बजट महंगाई की मार झेल रहा है और अगर गैस सिलिंडर महंगा हुआ, तो आम आदमी की रसोई पर सीधा असर पड़ेगा।

क्या हैं वैकल्पिक स्रोत?

कुछ विकल्प मौजूद हैं जैसे अमेरिका, मलेशिया, यूरोप और अफ्रीका से एलपीजी आयात करना, लेकिन ये देशों से गैस भारत तक पहुंचने में अधिक समय लगता है। इसके अलावा लागत भी ज्यादा होती है। ऐसे में यह कोई आसान या तात्कालिक विकल्प नहीं है।

बिजली से खाना पकाना बन सकता है मजबूरी

अगर एलपीजी सिलिंडर की कमी आई तो शहरी क्षेत्रों में बिजली से खाना पकाना ही एकमात्र उपाय बचेगा। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बिजली की स्थिति संतोषजनक नहीं है। ऐसे में यह संकट व्यापक हो सकता है।

पेट्रोल-डीजल में राहत, लेकिन क्यों?

जहां एलपीजी संकट गहराने की संभावना है, वहीं पेट्रोल और डीजल के मोर्चे पर भारत की स्थिति बेहतर है। भारत इन दोनों का निव्वळ निर्यातक है। देश में उत्पादित पेट्रोल का 40% और डीज़ल का 30% हिस्सा निर्यात किया जाता है। ज़रूरत पड़ने पर यह निर्यात घरेलू उपयोग के लिए रोका जा सकता है। इसके साथ ही देश में 25 दिनों का कच्चे तेल का भंडार मौजूद है।

सरकार की तैयारी और चेतावनी

सरकार फिलहाल घबराहट में खरीदारी से बच रही है, लेकिन स्थिति पर नजर बनाए हुए है। मंत्रालयों और तेल कंपनियों के बीच आपूर्ति बनाए रखने को लेकर रणनीतिक चर्चा चल रही है। लेकिन आम लोगों के लिए यह वक्त सतर्क रहने का है।

इराण-इज़राइल युद्ध की आंच अब भारत की रसोई तक पहुंच चुकी है। एलपीजी की कीमतें बढ़ना तय लग रहा है और अगर आपूर्ति में रुकावट आई तो केवल 16 दिन में सिलिंडर संकट गहराएगा। सरकार के लिए यह वक्त है वैकल्पिक स्रोतों पर तेजी से काम करने का, और जनता के लिए यह वक्त है समझदारी से गैस का उपयोग करने का।

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