Ghaziabad Ambulance Accident On Kanwar Route: कांवड़ यात्रा में दर्दनाक हादसा, 3 की मौत ने मचाई हलचल
20 जुलाई 2025 की रात, उत्तर प्रदेश की पवित्र कांवड़ यात्रा खून से लाल हो गई। गाजियाबाद के कादराबाद चेक पोस्ट के पास एक तेज रफ्तार एम्बुलेंस ने चार कांवड़ियों को कुचल दिया।
तीन की मौके पर ही मौत हो गई, एक अब भी ज़िंदगी और मौत से जूझ रहा है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि यह एम्बुलेंस किसी आम अस्पताल की नहीं, बल्कि बीजेपी विधायक डॉ. मंजू शिवाच के “जीवन अस्पताल” की थी। यह एक हादसा नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की नाकामी का आइना बन गया।
हादसे की भयावह रात: कैसे हुआ सबकुछ?
शनिवार देर रात, सचिन, अजय, अभिनव और रितिक हरिद्वार से गंगाजल लेकर लौट रहे थे।
बाइक और स्कूटी से चल रहे ये कांवड़िए अपने सफर में मग्न थे, तभी सामने से आ रही एम्बुलेंस ने उन्हें रौंद दिया।
स्थानीय लोगों और पुलिस ने तुरंत मदद की, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
सचिन, रितिक और अभिनव की मौत हो गई, जबकि अजय गंभीर रूप से घायल है।
विधायक की एम्बुलेंस कैसे पहुंची मौत की रफ्तार तक?
पुलिस जांच में सामने आया कि एम्बुलेंस विधायक के अस्पताल की थी और मरीज को मेरठ छोड़ने के बाद लौट रही थी।
विधायक ने सफाई दी कि हादसे के वक्त वे घर पर थीं और ड्राइवर को “बोनट खुलने” से कुछ दिखा नहीं।
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पर सवाल यह है — अगर एम्बुलेंस में तकनीकी खराबी थी, तो उसे सड़कों पर क्यों चलाया गया?
क्या एक मरीज की सेवा करते हुए तीन अन्य की जान लेना जायज़ है?
FIR दर्ज, जांच जारी
एसीपी मोदीनगर ज्ञान प्रकाश राय ने बताया कि मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है।
एम्बुलेंस का सहायक हारुन — जो अस्पताल में कंपाउंडर भी है — हादसे में घायल है और उससे पूछताछ की जा रही है।
प्रशासन सभी एंगल से जांच कर रहा है — यह लापरवाही थी या क्रिमिनल नेग्लिजेंस?
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एक दिन में दूसरा हादसा: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर भी गई जान
इसी दिन, भोजपुर टोल प्लाजा के पास तीन कांवड़ियों की बाइक डिवाइडर से टकरा गई।
इसमें आकाश की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए।
क्या यह सिर्फ़ इत्तेफाक है या फिर कांवड़ यात्रा के दौरान प्रशासनिक लापरवाही की एक लंबी लिस्ट?
एक्सपर्ट्स और श्रद्धालुओं की राय: अब बहुत हुआ
स्थानीय श्रद्धालुओं और जानकारों का कहना है कि हर साल कांवड़ यात्रा के दौरान ऐसे हादसे होते हैं, लेकिन सरकार सिर्फ़ बयान देती है, समाधान नहीं।
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NHAI ने पहले भी सुझाव दिया था कि कांवड़ रूट पर अलग इमरजेंसी लेन बनाई जाए।
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2024 में भी दो बड़े हादसे इसी रूट पर हो चुके हैं, जिनमें छह श्रद्धालुओं की जान गई थी।
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2022 से अब तक 25 से ज्यादा हादसे इसी यात्रा के दौरान हो चुके हैं।
समाधान क्या हो सकता है?
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सभी आपातकालीन वाहनों के लिए स्पीड लिमिट और GPS ट्रैकिंग अनिवार्य की जाए।
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कांवड़ रूट पर CCTV निगरानी और पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए।
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पब्लिक और प्रशासन के बीच सीधा संवाद और फीडबैक सिस्टम बनाया जाए।
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