पश्चिम एशिया में राहत की सांस, भारत और वैश्विक बाजारों पर पड़ेगा असर
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Iran Israel Ceasefire:पश्चिम एशिया में पिछले कई हफ्तों से जारी तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए एक बड़ी और सकारात्मक खबर सामने आई है। ईरान और इज़राइल के बीच आधिकारिक रूप से संघर्षविराम (Iran Israel Ceasefire) की घोषणा कर दी गई है। दोनों देशों की सेनाएं अब पीछे हटने लगी हैं और मध्यस्थ देशों की पहल पर शांति वार्ता का मार्ग प्रशस्त हो गया है। यह संघर्षविराम, अमेरिका, कतर और रूस जैसे कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के दखल के बाद संभव हो सका है। संयुक्त राष्ट्र (UN) और यूरोपीय यूनियन (EU) ने भी इस कदम का स्वागत किया है।
Iran Israel Ceasefire: संघर्ष की पृष्ठभूमि
ईरान और इज़राइल के बीच का यह ताजा संघर्ष अप्रैल 2025 में शुरू हुआ था, जब इज़राइल ने सीरिया में कथित ईरानी सैन्य अड्डों पर हमला किया। इसके जवाब में ईरान समर्थित मिलिशिया ने इज़राइल के कई सीमावर्ती शहरों पर मिसाइल हमले किए। इसके बाद हालात तेजी से बिगड़ते चले गए और पूर्ण युद्ध की स्थिति बन गई।
Iran Israel Ceasefire: संघर्षविराम की शर्तें क्या हैं?
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सीमा पर सैन्य गतिविधियों पर रोक: दोनों देश अब सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों की तैनाती कम करेंगे।
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हवाई हमलों पर पूर्ण प्रतिबंध: ईरान और इज़राइल दोनों ही अब एक-दूसरे की सीमा में हवाई हमले नहीं करेंगे।
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मानवता सहायता: गाजा और सीरिया में फंसे नागरिकों को राहत सामग्री पहुंचाने की अनुमति दी जाएगी।
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बातचीत की मेज़: तुर्की और कतर में आगामी हफ्तों में शांति वार्ता शुरू होगी।
Iran Israel Ceasefire: भारत पर क्या असर पड़ेगा?
भारत, जो कि ईरान से कच्चा तेल आयात करता है, उसके लिए यह संघर्षविराम बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। हाल के हफ्तों में तेल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिली थी, जिससे घरेलू गैस सिलिंडर और ईंधन के दामों में इजाफा हुआ था। अब संभावना है कि:
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कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता आएगी।
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रुपया डॉलर के मुकाबले मज़बूत होगा।
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महंगाई पर लगाम लगेगी।
वैश्विक बाजारों की प्रतिक्रिया
संघर्षविराम की खबर मिलते ही अंतरराष्ट्रीय शेयर बाजारों में तेजी दर्ज की गई। विशेषकर तेल कंपनियों और एविएशन सेक्टर की कंपनियों के स्टॉक्स में उछाल देखा गया। निवेशकों में भरोसा लौटा है और मिडिल ईस्ट के स्थायित्व की उम्मीद जताई जा रही है।
विशेषज्ञों की राय
डॉ. अमनदीप सहगल (अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार) के अनुसार:
“यह संघर्षविराम अस्थायी नहीं होना चाहिए। स्थायी समाधान के लिए दोनों देशों को वार्ता को प्राथमिकता देनी होगी। भारत जैसे देशों के लिए यह न सिर्फ आर्थिक बल्कि कूटनीतिक स्थिरता का संकेत है।”
Iran Israel Ceasefire सिर्फ दो देशों के बीच का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए राहत भरी खबर है। यह संघर्षविराम यदि स्थायी शांति में बदलता है तो इससे मध्य पूर्व, एशिया और यूरोप में भी स्थिरता आएगी। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह वैश्विक राहत की हवा साबित हो सकती है।