कश्मीर की सेब क्रांति: हाई-डेंसिटी खेती से किसानों को 4 गुना मुनाफा

कश्मीर की सेब क्रांति:

कश्मीर घाटी, जो अपने बेहतरीन सेबों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है, अब एक नई कृषि क्रांति की गवाह बन रही है। यहां की पारंपरिक बागवानी को अब आधुनिक तकनीकों और हाई-डेंसिटी सेब खेती से बदल दिया गया है। इस परिवर्तन के केंद्र में हैं खुर्रम मीर, जिन्होंने दस साल पहले हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में किए गए अपने शोध में इस बदलाव की नींव रखी थी।

क्या है हाई-डेंसिटी सेब की खेती?

हाई-डेंसिटी खेती एक ऐसी तकनीक है जिसमें छोटे आकार (ड्वार्फ) के सेब के पेड़ों को एक दूसरे के काफी करीब लगाया जाता है। इस तकनीक की कुछ खास बातें हैं:

  • जल्दी फल देने वाले पेड़: पारंपरिक पेड़ों की तुलना में ये पेड़ 2-3 साल में ही फल देने लगते हैं, जबकि पुराने पेड़ों को 8-10 साल लगते हैं।

  • ज्यादा उत्पादन: प्रति एकड़ 4 गुना ज्यादा सेब की पैदावार होती है।

  • कम संसाधनों की जरूरत: कम जमीन, कम पानी और कम उर्वरक में अधिक उपज।

  • बेहतर धूप और वेंटिलेशन: पेड़ों की सही दूरी और ऊंचाई से हर पौधे को भरपूर धूप मिलती है, जिससे फल की गुणवत्ता बेहतर होती है।

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किसानों की बदली जिंदगी

पिछले कुछ वर्षों में खुर्रम मीर की कंपनी KUL ने कश्मीर में लगभग 5,000 एकड़ जमीन पर हाई-डेंसिटी सेब बागवानी शुरू की है। इससे करीब 1 लाख किसानों को जोड़ा गया है। इस पहल का असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर साफ दिख रहा है:

  • जावेद (पुलवामा): सरकारी नौकरी छोड़कर सेब की खेती शुरू की। अब उनका कहना है कि “मेरे सेब की गुणवत्ता बेहतर है, जल्दी फल मिलते हैं और मुनाफा लगातार बढ़ रहा है।”

  • शमीमा (शोपियां): पति की मृत्यु के बाद प्याज और लहसुन की खेती छोड़कर हाई-डेंसिटी सेब की ओर रुख किया। वे कहती हैं, “छोटे पेड़ों को संभालना आसान है और आमदनी पहले से कहीं ज्यादा है।”

कश्मीर के सेब उद्योग की अहमियत

  • राज्य की GDP में योगदान: सेब उद्योग जम्मू-कश्मीर की कुल GDP का 8% हिस्सा है।

  • रोजगार का मुख्य स्रोत: लगभग 30 लाख लोगों की आजीविका इस उद्योग पर निर्भर करती है।

लेकिन यह उद्योग चुनौतियों से भी अछूता नहीं है:

  • बदलता मौसम: गर्म सर्दियों की वजह से फूल जल्दी खिलते हैं, जिससे फसल को नुकसान होता है।

  • नई कीट प्रजातियां: जलवायु परिवर्तन से नए कीटों का खतरा बढ़ गया है।

  • बाज़ार की अनिश्चितता: कभी-कभी किसानों को उचित दाम नहीं मिलते।

टेक्नोलॉजी और सप्लाई चेन की भूमिका

इस नई प्रणाली में ड्रिप इरिगेशन, मौसम आधारित कीटनाशक प्रबंधन, और वैज्ञानिक छंटाई जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही, सप्लाई चेन को भी आधुनिक बनाया गया है जिससे सेब सीधे उपभोक्ता तक बेहतर कीमत में पहुंच रहे हैं।

निष्कर्ष

कश्मीर की सेब घाटी में चल रही यह नवाचार आधारित क्रांति किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के साथ-साथ पूरे क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था को नया जीवन दे रही है। यह बदलाव सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और स्मार्ट फार्मिंग की ओर बढ़ता हुआ कदम है।

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