Natural Farming: क्लस्टर मॉडल से बढ़ रही प्राकृतिक खेती, 8 लाख किसान जुड़ चुके | National Mission on Natural Farming

Natural Farming: क्लस्टर मॉडल से सरकार दे रही है प्राकृतिक खेती को रफ्तार, अब तक 8 लाख किसान जुड़ चुके

देश की मिट्टी को फिर से जीवंत बनाने और किसानों को रासायन मुक्त खेती की ओर प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार प्राकृतिक खेती (Natural Farming) को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए “प्राकृतिक खेती राष्ट्रीय अभियान (National Mission on Natural Farming)” चलाया जा रहा है, जिसमें अब तक 8 लाख किसान शामिल हो चुके हैं।

सरकार का लक्ष्य है कि अगले दो वर्षों में इस योजना से 1 करोड़ किसान जुड़ें ताकि देश में रासायनिक खेती की निर्भरता घटे और कृषि भूमि की उर्वरता बढ़े। आइए विस्तार से जानते हैं कि क्या है यह मिशन, इसमें क्या सुविधाएं मिलती हैं और कैसे किसान इसका लाभ उठा सकते हैं।

Natural Farming: क्या है प्राकृतिक खेती राष्ट्रीय अभियान?

क्लस्टर बनाकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही सरकार, अभी तक 8 लाख किसान जुड़े

National Mission on Natural Farming (NMNF) एक केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया मिशन है जिसका उद्देश्य देशभर में किसानों को रसायन रहित खेती अपनाने के लिए प्रेरित करना है। इस योजना की शुरुआत 2023 में हुई थी और इसका प्रभाव अब जमीनी स्तर पर दिखने लगा है।

इस अभियान के तहत सरकार छोटे-छोटे क्लस्टर (Cluster) बनाकर किसानों को जोड़ रही है और उन्हें प्रति एकड़ ₹4,000 की आर्थिक सहायता दी जा रही है। इस पैसे से किसान अपने खेत में प्राकृतिक तरीके से खेती की शुरुआत कर सकते हैं।

क्या है क्लस्टर मॉडल?

इस योजना में सरकार ने 14,500 क्लस्टर का चयन किया है, जहां हर क्लस्टर 50 हेक्टेयर जमीन पर फैला हुआ है। इन क्लस्टरों में एक साथ कई किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं ताकि एक सामूहिक मॉडल बन सके और अनुभव साझा किए जा सकें।

इसमें किसानों को निम्नलिखित तकनीकों और विधियों से जोड़ा जा रहा है:

  • रासायनिक खाद का पूरी तरह से परित्याग

  • लोकल ब्रीड के मवेशियों का पालन

  • फसलों का विविधीकरण

  • मल्चिंग (Mulching)

  • कम से कम जुताई (Minimum Tillage)

किसानों को मिल रही आर्थिक मदद और सर्टिफिकेशन

इस योजना में शामिल होने वाले किसानों को हर साल ₹4,000 प्रति एकड़ की सहायता मिल रही है। इससे वे कम से कम अपने खेत के एक हिस्से में प्राकृतिक खेती की शुरुआत कर सकते हैं।

साथ ही, किसानों को प्राकृतिक खेती प्रमाण पत्र (Natural Farming Certificate) भी दिया जा रहा है, जिससे उनका उत्पादन भविष्य में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेहतर कीमत पर बेचा जा सके।

लक्ष्य: 1 करोड़ किसान होंगे शामिल

सरकार के मुताबिक देश में करीब 14 करोड़ किसान हैं। इस मिशन के पहले चरण में 1 करोड़ किसानों को जोड़ने का लक्ष्य तय किया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि:

“शुरुआती चरण में हम किसानों को केवल एक एकड़ खेत में प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। बाद में इसका दायरा वे खुद बढ़ा सकते हैं।”

किन क्षेत्रों में हो रही शुरुआत?

  • सबसे पहले गंगा नदी के किनारे 5 किमी के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में मिशन की शुरुआत की गई है।

  • इसके अलावा अन्य बड़ी नदियों के किनारे स्थित जिले, आदिवासी क्षेत्र और कम संसाधन वाले इलाके इस योजना में प्राथमिकता पर हैं।

तकनीक से हो रही निगरानी: GIS और सॉइल हेल्थ कार्ड

1. GIS टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल

सरकार इस अभियान को मॉनिटर करने के लिए GIS (Geographic Information System) तकनीक का उपयोग कर रही है। इसकी मदद से प्राकृतिक खेती के फैलाव और परिणामों को रीयलटाइम में ट्रैक किया जा रहा है।

2. 30,000 तकनीकी कर्मियों की नियुक्ति

GIS और अन्य तकनीकों के संचालन के लिए 30,000 से अधिक कर्मियों को तैनात किया गया है जो क्लस्टर क्षेत्रों में किसानों की मदद कर रहे हैं।

3. सॉइल हेल्थ कार्ड योजना से सहयोग

सॉइल हेल्थ कार्ड योजना के तहत किसानों के खेत की मिट्टी की जांच कर रिपोर्ट दी जा रही है ताकि उन्हें यह पता चल सके कि उनकी जमीन किस तरह की फसलों के लिए उपयुक्त है। अब तक 3.5 लाख किसान इस योजना से जुड़ चुके हैं।

10,000 बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर की स्थापना

कृषि में जैविक विकल्पों की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए 10,000 Bio Input Resource Centres की स्थापना की गई है। यहां किसान जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत, वर्मी कम्पोस्ट जैसे विकल्पों की ट्रेनिंग और उपलब्धता पा सकते हैं।

निष्कर्ष: किसानों की मिट्टी, किसान की ताकत

Natural Farming: भारत की पारंपरिक कृषि विधियों की ओर लौटने का एक प्रयास है, जिसमें मिट्टी की सेहत, खाद्य सुरक्षा और किसान की आमदनी को एक साथ ध्यान में रखा गया है। सरकार की इस पहल से न केवल किसानों को आर्थिक मजबूती मिलेगी बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित कृषि प्रणाली का निर्माण भी होगा।

आप अगर एक किसान हैं और इस योजना से जुड़ना चाहते हैं तो अपने नजदीकी कृषि केंद्र या कृषि अधिकारी से संपर्क करें और प्राकृतिक खेती की ओर पहला कदम बढ़ाएं।

अगर आप इस लेख को अन्य किसानों के साथ साझा करना चाहते हैं या योजना की ताज़ा जानकारी पाना चाहते हैं, तो राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती अभियान की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।

अधिक जानकारी के लिए और योजना से जुड़ने हेतु यहाँ जाएं:  https://naturalfarming.dac.gov.in/

यह लिंक भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत संचालित प्राकृतिक खेती पोर्टल का है और पूरी तरह आधिकारिक और सुरक्षित है।

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