“Nimisha Priya Hanging Case: ग्रांड मुफ्ती के हस्तक्षेप से जगी नई उम्मीद, यमन में बंद कमरे में हुई बड़ी मीटिंग”
भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी को लेकर अब समय बेहद नाजुक दौर में पहुंच चुका है। यमन में बंद कमरे में हुई एक अहम बैठक और भारत के ग्रांड मुफ्ती कंठपुरम एपी अबूबकर मुसलियार के हस्तक्षेप ने एक बार फिर से उम्मीद की किरण जगाई है।
Nimisha Priya Hanging Case: 16 जुलाई को तय है फांसी की तारीख
निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जानी है। वह केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोडे की रहने वाली हैं और 2008 से यमन में नर्स के तौर पर काम कर रही थीं। 2017 में अपने बिजनेस पार्टनर की हत्या के आरोप में उन्हें दोषी ठहराया गया और यमन की सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में उनकी अपील खारिज कर दी थी। इसके बाद देश के सरकारी अभियोजक ने मृत्युदंड की पुष्टि कर दी।
सरकार ने जताई सीमित हस्तक्षेप की क्षमता
सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि यमन में भारत की एम्बेसी न होने के कारण वहां हस्तक्षेप की सीमाएं बेहद सीमित हैं। सरकार ने यमन के अभियोजक को पत्र भेजा और वहां के इस्लामिक विद्वानों के जरिए दखल की कोशिश की, लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है।
Nimisha Priya Hanging Case: Blood Money की शर्त, लेकिन सहमति नहीं
यमन की कानून व्यवस्था के तहत, यदि मृतक के परिवार को Blood Money यानी दया दान दिया जाए और वे उसे स्वीकार कर लें, तो फांसी की सजा को रोका जा सकता है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जब तक मृतक के परिवार से सहमति नहीं मिलती, तब तक कोई भी बातचीत निरर्थक है।
Nimisha Priya Hanging Case: अब ग्रांड मुफ्ती के हस्तक्षेप से जगी उम्मीद
इस केस में नया मोड़ आया जब भारत के ग्रांड मुफ्ती कंठपुरम एपी अबूबकर मुसलियार ने यमन के प्रसिद्ध सूफी विद्वान शेख हबीब उमर से व्यक्तिगत अपील की। इस अपील के बाद हबीब उमर के प्रतिनिधि हबीब अब्दुर्रहमान अली मशहूर ने उत्तरी यमन में एक आपातकालीन मीटिंग बुलाई। इस बंद कमरे की मीटिंग में यमन के आपराधिक न्यायालय के सर्वोच्च न्यायाधीश, मृतक के भाई, आदिवासी नेताओं और यमन सरकार के प्रतिनिधियों की उपस्थिति रही।
क्या बात बनी?
हालांकि इस बैठक के विवरण अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, लेकिन इतना जरूर है कि ग्रांड मुफ्ती का यह हस्तक्षेप ऐतिहासिक और असरदार हो सकता है। इसने निमिषा प्रिया के परिवार और देश के करोड़ों नागरिकों को थोड़ी राहत और उम्मीद दी है।
यमन में बढ़ता संकट और राजनैतिक चुनौती
यमन में वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता, गृहयुद्ध जैसे हालात, और भारत की कूटनीतिक उपस्थिति न होने की वजह से यह केस बेहद जटिल बन गया है। भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा कि वह हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन हालात मुश्किल हैं।
Nimisha Priya Hanging Case: सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह इस मामले में स्थिति रिपोर्ट पेश करे और यह भी स्पष्ट करे कि अब तक क्या प्रयास हुए और आगे क्या संभावनाएं बची हैं। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह हर उपलब्ध कूटनीतिक विकल्प को आजमाए।
क्या बच पाएंगी निमिषा प्रिया?
इस पूरे प्रकरण में ग्रांड मुफ्ती का हस्तक्षेप ही अब अंतिम आशा की किरण बना है। यदि यमन की इस्लामिक परिषद और मृतक के परिवार के साथ बातचीत सफल होती है और वे Blood Money को स्वीकार करते हैं, तो निमिषा प्रिया की जान बच सकती है।
फिलहाल निगाहें 16 जुलाई और उससे पहले होने वाली हर बातचीत, हर कदम और हर कूटनीतिक प्रयास पर टिकी हैं।
सम्बंधित लिंक पढ़ें: http://Nimisha Priya Petition on Change.org
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