Oilseeds vs Maize:
किसान मक्का की ओर नहीं भाग रहे, सरकार का जवाब साफ – तेलहन उत्पादन में हुआ इज़ाफा
भारत में खाद्य तेलों की आत्मनिर्भरता को लेकर कुछ समय से आशंकाएं जताई जा रही थीं कि किसान अब तेलहन फसलों से मुँह मोड़ रहे हैं और मक्का की खेती को प्राथमिकता देने लगे हैं। लेकिन अब सरकार ने संसद में स्पष्ट कर दिया है कि ऐसा कोई बड़ा बदलाव नहीं हो रहा है।
संसद में उठा सवाल, सरकार ने दिया तर्कपूर्ण जवाब
22 जुलाई 2025 को लोकसभा में सांसद श्री सुखदेव भगत द्वारा पूछे गए सवाल में केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया कि क्या किसान कम कीमतों और लाभ की कमी के चलते मक्का की ओर बढ़ रहे हैं?
इस पर कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने साफ कहा –
“तेलहन फसलों का रकबा और उत्पादन – दोनों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। किसानों का रुझान नहीं घटा है।”
तेलहन फसलों का आँकड़ों के साथ इज़ाफा
सरकार के तीसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार:
वर्ष | रकबा (लाख हेक्टेयर) | उत्पादन (लाख टन) |
---|---|---|
2023-24 | 301.92 | 396.69 |
2024-25 | 302.65 | 426.09 |
यह साफ करता है कि तेलहन क्षेत्र में गिरावट नहीं, बल्कि स्थिरता और वृद्धि देखने को मिली है।
Oilseeds vs Maize
NMEO-OS: तेलहन आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम
सरकार ने 3 अक्टूबर 2024 को शुरू किया राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तेलहन (NMEO-OS), जो आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा है।
इसका मकसद:
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तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता
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आयात पर निर्भरता कम करना
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किसानों को तकनीकी और आर्थिक सहायता देना
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MSP और PM-AASHA से किसानों को मिलेगी ताकत
तेलहन फसलों के लिए सरकार:
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न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को हर साल उत्पादन लागत से कम से कम 1.5 गुना तय करती है।
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PM-AASHA योजना के तहत तेलहन की सरकारी खरीद होती है।
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मूल्य समर्थन, टेक्निकल ट्रेनिंग, अनुसंधान और समय-समय पर आयात शुल्क नियंत्रण जैसे उपाय भी सक्रिय हैं।
सरकार का स्पष्ट संदेश – किसानों को मिलेगा हरसंभव समर्थन
राज्य मंत्री ठाकुर ने यह भी कहा:
“सरकार बहुस्तरीय रणनीति के ज़रिए यह सुनिश्चित कर रही है कि किसान तेलहन की खेती में बने रहें और देश तेलों में आत्मनिर्भर बन सके।”
Oilseeds vs Maize
Disclaimer:
यह जानकारी कृषि मंत्रालय की लोकसभा में प्रस्तुत रिपोर्ट, आधिकारिक दस्तावेज़ों और प्रेस रिलीज़ पर आधारित है। कृपया विस्तृत जानकारी के लिए agricoop.gov.in पर जाएं।