PM Modi Maldives Visit: ‘India Out’ से ‘भारत का दिल बड़ा’ तक: कैसे पलटे मालदीव के सुर, जानिए पूरा सच
PM Modi Maldives Visit: कहानी एक रिश्ते की जो टूटते-टूटते फिर जुड़ गया
वो वक्त शायद ही कोई भूलेगा जब मालदीव की सत्ता में आए नए राष्ट्रपति मुहम्मद मुइज्जू ने ‘India Out’ का नारा दिया था। चीन की तरफ झुकाव और भारत विरोधी बयानों ने दोनों देशों के वर्षों पुराने रिश्ते को संकट में डाल दिया था। लेकिन आज तस्वीर बिल्कुल अलग है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 25-26 जुलाई को होने वाले मालदीव दौरे से पहले वहां का राजनीतिक और कूटनीतिक माहौल पूरी तरह बदल चुका है। अब वही मुइज्जू भारत की उदारता की तारीफ कर रहे हैं और मालदीव के पूर्व विदेश मंत्री तक यह कहने लगे हैं कि “भारत के बिना हमारा काम नहीं चलेगा।”
‘India Out’ आंदोलन की पृष्ठभूमि
मालदीव में 2023 का राष्ट्रपति चुनाव ‘India Out’ मूवमेंट के इर्द-गिर्द लड़ा गया था। मुहम्मद मुइज्जू ने इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने भारत के साथ दूरी बनानी शुरू की। भारतीय सैन्यकर्मियों को हटाने की मांग उठी। भारत से जुड़ी हर चीज को संदिग्ध दृष्टि से देखा जाने लगा। इसके उलट मुइज्जू ने तुर्की और चीन की यात्राएं कीं और चीन के साथ 20 से अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
PM Modi Maldives Visit: लेकिन क्यों टूटा चीन का सपना?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार मुइज्जू को चीन से बहुत अपेक्षाएं थीं — आर्थिक मदद, रणनीतिक समर्थन और कूटनीतिक मजबूती। लेकिन चीन ने उन्हें वैसा सहयोग नहीं दिया, जैसी उन्हें उम्मीद थी। इसी बीच भारत ने कोई प्रतिक्रियात्मक कदम नहीं उठाया। बल्कि संयम और परिपक्वता के साथ कूटनीतिक स्तर पर संवाद बनाए रखा।
भारत की रणनीति: कम बोलो, ज्यादा करो
भारत ने मालदीव में अपने डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को जारी रखा। ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट, जो मालदीव का सबसे बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है, भारत की फंडिंग से संभव हुआ। चिकित्सा आपातकालीन सेवाओं में भारत की भूमिका को आम जनता ने भी सराहा। विदेश मंत्री की मालदीव यात्रा और उसके बाद मुइज्जू का भारत दौरा, दोनों ने रिश्तों में आई दरार को पाटना शुरू किया।
PM Modi Maldives Visit: ‘भारत का दिल बड़ा है’: अब्दुल्ला शाहिद की स्वीकारोक्ति
मालदीव के पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने हाल ही में बयान दिया —
“भारत ने हमेशा हमारी मदद की है, चाहे वो सुनामी हो, जल संकट हो या आतंकवादी हमले। भारत ने कभी हमें निराश नहीं किया। मौजूदा सरकार ने जो झूठा नैरेटिव फैलाया था, वो अब टूट चुका है।”
शाहिद का यह बयान सिर्फ एक कूटनीतिक टिप्पणी नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि मालदीव की राजनीति अब भारत के समर्थन की ओर लौट रही है।
PM मोदी का दौरा: रिश्तों में नई जान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 और 26 जुलाई को मालदीव की राजधानी माले में रहेंगे। वे मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे और राष्ट्रपति मुइज्जू के साथ कई द्विपक्षीय बैठकों में भाग लेंगे। इस दौरान भारत द्वारा वित्त पोषित कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया जाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि मोदी मालदीव दौरा करने वाले पहले विदेशी राष्ट्राध्यक्ष होंगे जिन्हें मुइज्जू स्वयं आमंत्रित कर रहे हैं।
आधिकारिक जानकारी के लिए पढ़ें: http://प्रधानमंत्री मोदी के मालदीव दौरे पर विदेश मंत्रालय की आधिकारिक प्रेस रिलीज़
PM Modi Maldives Visit: क्यों खास है यह दौरा?
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द्विपक्षीय विश्वास की वापसी – राजनीतिक मतभेद के बावजूद, दोनों देशों ने एक-दूसरे की अहमियत को फिर से पहचाना है।
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समुद्री सुरक्षा और सहयोग – हिंद महासागर क्षेत्र में भारत और मालदीव की रणनीतिक साझेदारी अब फिर से मजबूत हो रही है।
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आर्थिक साझेदारी – भारत की ओर से दी जा रही मदद और निवेश ने मालदीव की जनता में भरोसा जगाया है।
PM Modi Maldives Visit: एक रिश्ते की जीत
भारत और मालदीव के संबंध केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और मानवीय आधारों पर टिके हैं। ‘India Out’ जैसे नारों के बावजूद भारत ने जो धैर्य और उदारता दिखाई, उसने यह सिद्ध कर दिया कि भारत केवल एक पड़ोसी नहीं, बल्कि संकट में साथ खड़ा रहने वाला सच्चा मित्र है।
आज जब प्रधानमंत्री मोदी मालदीव की धरती पर कदम रखेंगे, तो यह सिर्फ एक दौरा नहीं होगा — यह उस रिश्ते की पुनर्स्थापना होगी जो कभी बिखरता नजर आ रहा था। भारत फिर साबित कर रहा है — उसका दिल वाकई बहुत बड़ा है।
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