Smart Farming: ग्राफ्टिंग से उगाएं टमाटर और पाएं ज्यादा मुनाफा, जानिए पूरी प्रक्रिया और फायदे
भारत में खेती आज सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक स्मार्ट बिज़नेस बनती जा रही है। परंपरागत तरीकों के स्थान पर अब वैज्ञानिक और तकनीकी उपाय अपनाकर किसान अधिक उत्पादन और मुनाफा कमा रहे हैं। ऐसे ही एक आधुनिक और सफल तकनीक का नाम है – ग्राफ्टिंग (Grafting)। खासकर टमाटर की खेती में इस तकनीक ने क्रांति ला दी है। आइए जानते हैं कि ग्राफ्टिंग तकनीक क्या है, इसे कैसे अपनाएं और इसके क्या लाभ हैं।
Smart Farming: ग्राफ्टिंग क्या है और टमाटर की खेती में इसका महत्व
ग्राफ्टिंग एक पारंपरिक बागवानी तकनीक है, जिसमें दो अलग-अलग पौधों के हिस्सों को जोड़कर एक नया और बेहतर पौधा तैयार किया जाता है। इसमें:
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रूटस्टॉक (Rootstock): वह पौधा होता है जो मजबूत जड़ और तने के लिए जाना जाता है।
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स्कियन (Scion): वह भाग होता है जो फल या फूल देता है और बेहतर उत्पादन क्षमता रखता है।
टमाटर की खेती में, रूटस्टॉक ऐसा चुना जाता है जो रोगों, सूखे और प्रतिकूल पर्यावरण को झेल सके, जबकि स्कियन को बेहतर उपज और गुणवत्ता के लिए लिया जाता है।
Smart Farming: ग्राफ्टिंग तकनीक कैसे करें – पूरी प्रक्रिया स्टेप बाय स्टेप
अगर आप टमाटर की खेती में ग्राफ्टिंग तकनीक अपनाना चाहते हैं, तो नीचे दी गई प्रक्रिया को ध्यान से अपनाएं:
1. बीज का चयन
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रूटस्टॉक: ऐसे बीज चुनें जो रोग प्रतिरोधक हों और स्थानीय जलवायु के अनुकूल हों।
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स्कियन: हाई-यील्डिंग टमाटर किस्मों का चयन करें जिनका आकार, स्वाद और रंग बेहतर हो।
2. बीज बोना
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दोनों प्रकार के बीज (रूटस्टॉक और स्कियन) अलग-अलग ट्रे या गमलों में लगाएं।
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पौधों को 3-4 इंच तक बढ़ने दें।
3. कटाई और जोड़ने की प्रक्रिया
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दोनों पौधों की तनों को 45 डिग्री कोण पर काटें।
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कटे हुए हिस्सों को आपस में जोड़ें और ग्राफ्टिंग क्लिप्स या टेप की सहायता से मजबूती से पकड़ाएं।
4. हीलिंग चैंबर में रखें
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ग्राफ्ट किए गए पौधों को 7 से 10 दिन तक अंधेरी, नमीयुक्त और तापमान नियंत्रित जगह पर रखें ताकि वे जुड़ सकें।
5. अनुकूलन (Acclimatization)
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धीरे-धीरे पौधों को खुले वातावरण और धूप में रखें ताकि वे स्थायी रूप से मजबूत हो जाएं।
6. फील्ड ट्रांसप्लांटिंग
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अब ये पौधे खेत में रोपने के लिए तैयार हैं।
ग्राफ्टिंग तकनीक के फायदे: बीमारियों से सुरक्षा
ग्राफ्टेड पौधे मिट्टीजनित रोगों, फफूंद और कीटों के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता रखते हैं।
जलवायु सहनशीलता
ये पौधे ज्यादा गर्मी, ठंड या सूखे में भी बेहतर तरीके से पनपते हैं।
उत्पादन में बढ़ोतरी
एक सामान्य पौधे की तुलना में 25% से 30% अधिक उपज मिलती है।
लागत में कमी
कम कीटनाशक, उर्वरक और दवाइयों की ज़रूरत पड़ती है, जिससे उत्पादन लागत घटती है।
बेहतर गुणवत्ता
ग्राफ्टेड टमाटर का आकार, रंग और स्वाद बेहतर होता है, जिससे बाजार में कीमत अच्छी मिलती है।
कैसे बढ़ता है मुनाफा?
ग्राफ्टिंग तकनीक से न सिर्फ फसल अधिक होती है, बल्कि:
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प्रति एकड़ 20-25 क्विंटल तक अधिक उपज संभव है।
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टमाटर का आकार बड़ा, रंग चमकदार और स्वाद मीठा होने से बाजार में अधिक दाम मिलते हैं।
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फसल की आयु लंबी होने के कारण बार-बार खेती की जरूरत नहीं पड़ती।
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कीटनाशकों और उर्वरकों पर खर्च घटने से लागत कम और नेट प्रॉफिट ज्यादा होता है।
किसानों के अनुभव और सरकारी सहयोग
कई राज्यों में कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को ग्राफ्टिंग की ट्रेनिंग दे रहे हैं। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में कई किसानों ने इस तकनीक को अपनाकर लाखों का लाभ कमाया है।
सरकार भी प्राकृतिक खेती और स्मार्ट फार्मिंग मिशन के तहत किसानों को ग्राफ्टिंग जैसे तकनीकों को अपनाने के लिए सब्सिडी और प्रशिक्षण दे रही है।
स्मार्ट खेती की ओर बढ़ता कदम
ग्राफ्टिंग तकनीक किसानों के लिए केवल एक नई तकनीक नहीं बल्कि सुरक्षित, लाभकारी और स्मार्ट खेती का रास्ता है। जलवायु परिवर्तन, बीमारियां और बढ़ती लागत के इस दौर में ग्राफ्टिंग तकनीक एक व्यवहारिक समाधान के रूप में उभर रही है।
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अगर आप भी टमाटर की खेती करते हैं या शुरू करना चाहते हैं, तो ग्राफ्टिंग तकनीक को ज़रूर अपनाएं। इससे आपकी मेहनत भी बचेगी, लागत भी घटेगी और मुनाफा कई गुना बढ़ेगा।
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