भारत की Supreme Court की कार्रवाई: क्या है मामला?
12 जून 2025 को अहमदाबाद से टेकऑफ़ के बाद Air India का एक Boeing 787 विमान इंजन थ्रस्ट खो बैठा, और नियंत्रण खो जाने की स्थिति बनी। इस हादसे में विमान पर सवार 242 लोगों में से 241 लोग मारे गए, साथ ही जमीन पर भी कुछ लोग घायल हुए।
वर्तमान में जांच DGCA (Directorate General of Civil Aviation) की देखरेख में हो रही है, लेकिन NGO Safety Matters Foundation ने दलील दी है कि DGCA का परीक्षण एवं जांच प्रक्रिया में शामिल होना हित-संघर्ष (conflict of interest) पैदा करता है, इसलिए वे चाहते हैं कि जांच पूरी तरह से स्वतंत्र एजेंसी के द्वारा हो।
सुप्रीम कोर्ट ने यह याचिका सुनी है और सरकार को उत्तर देने का आदेश दिया है कि स्वतंत्र जांच क्यों न हो।
क्यों है स्वतंत्र जांच ज़रूरी?
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हित-संघर्ष (Conflict of Interest): DGCA खुद एक नियामक एजेंसी है और उसकी जिम्मेदारी है कि वह विमान सुरक्षा मानदंडों को लागू करे। यदि वही एजेंसी हादसे की जांच भी करे, तो यह सवाल उठता है कि जांच निष्पक्ष होगी या नहीं।
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विश्वास और पारदर्शिता: विमानन सुरक्षा में सार्वजनिक भरोसा बनाए रखना ज़रूरी है। यदि लोग जांच की निष्पक्षता पर शक करें, तो विमानन उद्योग की साख को नुकसान हो सकता है।
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नियम और नीति सुधार: अगर जांच पूरी तरह से स्वतंत्र एजेंसी द्वारा हो, तो कमियाँ उजागर होंगी — चाहे वह इंफ्रा हो, नियमों का पालन हो, प्रशिक्षण या तकनीकी दोष हो। ये सुधार केवल तब हो सकते हैं जब जानकारी खुल-कर सामने आए।
Supreme Court Orders संभावित बल और चुनौतियाँ
फायदे:
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जनता का विश्वास बढ़ेगा।
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विमानन सुरक्षा मानकों में सुधार की संभावना।
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जांच पर बाहर (Independent) नजर होगी, जिससे निष्कर्ष ज्यादा विश्वसनीय होंगे।
चुनौतियाँ:
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ऐसी एजेंसी चुनना जो पूरी तरह से निष्पक्ष हो।
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समय और संसाधन — स्वतंत्र जांच में समय लगेगा, स्टाफ, तकनीकी संसाधन चाहिए होंगे।
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राजनीतिक व कानूनी जटिलताएँ — यदि DGCA या किसी सरकारी विभाग पर दोष लगे तो दबाव बढ़ेगा।
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