US-India Trade Deal Clash: भारत अमेरिका व्यापार में बड़ी टक्कर: कृषि-डेयरी रियायत पर भारत का ‘नो’, ट्रंप ने ठोका 25% टैरिफ
7 अगस्त 2025 से अमेरिकी बाजार में जाने वाले भारतीय उत्पादों पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस फैसले की घोषणा करते हुए भारत के खिलाफ आर्थिक मोर्चा खोल दिया है। लेकिन असल पेंच व्यापार युद्ध में नहीं, बल्कि उस ज़िद में है जो भारत ने कृषि और डेयरी उत्पादों पर अमेरिका को छूट देने से इनकार करके दिखाई है।
भारत ने दो टूक शब्दों में कह दिया है — ‘हम अपने किसानों की कीमत पर समझौता नहीं करेंगे।’ और यही रुख अमेरिका को रास नहीं आ रहा।
US-India Trade Deal Clash: भारत-अमेरिका BTA क्या है और क्यों बना विवाद?
मार्च 2025 में भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement – BTA) के लिए बातचीत शुरू की थी। उद्देश्य था कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक बाधाएं हटाई जाएं, शुल्क घटाए जाएं और निवेश को बढ़ावा मिले।
लक्ष्य था 2030 तक व्यापार को $191 अरब से बढ़ाकर $500 अरब डॉलर करना।
अब तक 5 दौर की बातचीत हो चुकी है और अगला दौर 25 अगस्त को होने जा रहा है। लेकिन सबसे बड़ा रोड़ा बना है — भारतीय कृषि, डेयरी और GM (Genetically Modified) खाद्य उत्पादों पर शुल्क रियायत।
US-India Trade Deal Clash: अमेरिका की मांगें क्या हैं?
अमेरिका चाहता है कि भारत इन वस्तुओं पर टैरिफ कम करे:
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डेयरी उत्पाद
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सेब, नट्स, GM फसलें
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इलेक्ट्रिक वाहन
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पेट्रोकेमिकल
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शराब और वाइन
अमेरिका के मुताबिक, भारत के GM फ्री सर्टिफिकेशन और धार्मिक संवेदनशीलता से जुड़े प्रतिबंध उसके डेयरी उत्पादों के लिए एक बाधा हैं।
US-India Trade Deal Clash: भारत का मजबूत विरोध: “हमारा किसान कमजोर नहीं पड़ सकता”
1. कृषि पर टैरिफ क्यों ज़रूरी है?
“हमारा किसान किसी निगम का हिस्सा नहीं, उसकी रोज़ी-रोटी है।”
भारत में कृषि केवल एक सेक्टर नहीं, बल्कि 70 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका है। अमेरिका जैसे देशों में जहां कृषि पूरी तरह से कॉर्पोरेट हो चुकी है, वहीं भारत में यह जीवन और आत्मनिर्भरता से जुड़ा हुआ है।
अगर अमेरिका को रियायत दी गई तो उसके सब्सिडी वाले सस्ते अनाज भारतीय बाजार को भर देंगे और छोटे किसान बर्बाद हो जाएंगे।
2. डेयरी उत्पादों पर समझौता क्यों नहीं?
भारतीय डेयरी सेक्टर 8 करोड़ से अधिक छोटे पशुपालकों पर टिका हुआ है। अमेरिका के डेयरी फार्म्स में पशुओं को ऐसे आहार दिए जाते हैं जिनमें पशु-जनित अवयव होते हैं — जो भारतीय सांस्कृतिक मान्यताओं के खिलाफ हैं।
इसलिए भारत GM मुक्त फीड और धार्मिक रूप से स्वीकार्य स्रोतों पर ज़ोर देता है। इस पर कोई समझौता भारत को मंजूर नहीं।
GM खाद्य पदार्थ: भारत क्यों कर रहा विरोध?
GM खाद्य उत्पादों को बैक्टीरिया, वायरस या अन्य प्रजातियों के DNA से तैयार किया जाता है। भारत में इनके आयात को लेकर स्वास्थ्य, पर्यावरण और निर्यात बाजार पर असर जैसे कई मुद्दे हैं।
अगर भारत ने GM पशु आहार जैसे soybean meal या DDGS को अनुमति दी, तो यूरोपीय संघ जैसे बाजार भारतीय कृषि निर्यात को प्रतिबंधित कर सकते हैं — जिससे किसानों का आर्थिक भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।
अमेरिका का पलटवार: 25% टैरिफ
2 अप्रैल को अमेरिका ने 26% टैरिफ की घोषणा की थी, जिसमें से 10% पहले ही लागू था। अब 7 अगस्त से 25% अतिरिक्त टैरिफ लागू होगा। इससे पहले यह 1 अगस्त को लागू होना था, लेकिन ट्रंप ने इसे 6 दिन आगे बढ़ा दिया।
US-India Trade Deal Clash: प्रभाव किन पर पड़ेगा?
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कपड़ा उद्योग: पहले 6-9%, अब 31-34% शुल्क
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ज्वेलरी, चमड़ा, रसायन, प्लास्टिक उद्योग: लागत बढ़ेगी, निर्यात घटेगा
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आंगूर, केला, झींगा उद्योग: अमेरिकी बाजार से बाहर होना पड़ सकता है
हालांकि, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स और एनर्जी उत्पाद इस टैरिफ से फिलहाल बाहर रखे गए हैं।
US-India Trade Deal Clash: आगे क्या?
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि “जीवन से जुड़ी प्राथमिकताओं पर समझौता नहीं किया जाएगा।” डेयरी, कृषि और GM खाद्य नीति भारत की आत्मनिर्भरता, सुरक्षा और संवेदनशीलता से जुड़ी है।
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ट्रंप सरकार के फैसले से दोनों देशों के व्यापार संबंधों पर दबाव बढ़ सकता है, लेकिन भारत का रुख इस बार आक्रामक और आत्मनिर्भर भारत की नीति को दर्शाता है।
भारत और अमेरिका का यह टकराव सिर्फ व्यापारिक नहीं, नीतिगत और वैचारिक टकराव है।
जहां अमेरिका अपने कॉर्पोरेट हितों की सुरक्षा चाहता है, वहीं भारत अपनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था, किसानों और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए अडिग है।
आने वाले सप्ताहों में बातचीत और कूटनीति का रुख तय करेगा कि यह टकराव सहयोग में बदलेगा या युद्ध में।
http://Indian Ministry of Commerce
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