US Visa Bond Policy: अमेरिका जाने के लिए अब देने होंगे $15,000 तक के वीज़ा बॉन्ड, जानें नया नियम

US Visa Bond Policy: अमेरिका जाने के लिए अब देने होंगे $15,000 तक के बॉन्ड, B1/B2 वीज़ा पाने वालों के लिए नई सख्ती

US जाने का सपना, अब और महंगा!

अगर आप अमेरिका घूमने या बिजनेस के सिलसिले में जाने का सोच रहे हैं, तो तैयार हो जाइए एक नई चुनौती के लिए।
US सरकार ने एक नया वीज़ा पायलट प्रोग्राम लॉन्च किया है, जिसमें B1 और B2 वीज़ा के आवेदकों को अब $5,000 से लेकर $15,000 (लगभग ₹22 लाख रुपये) तक का बॉन्ड भरना पड़ सकता है।

क्यों लाया गया ये नया नियम?

इस पायलट प्रोग्राम का मकसद है उन यात्रियों पर लगाम लगाना जो अमेरिका पहुंचने के बाद अपने वीज़ा की अवधि से ज्यादा रुकते हैं, यानी ओवरस्टे करते हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हर साल करीब 1-2% नॉन-इमिग्रेंट वीज़ा होल्डर्स अमेरिका में वीज़ा खत्म होने के बाद भी रुक जाते हैं।
2023 में ही लगभग 3.2 लाख लोग ओवरस्टे में पाए गए थे।

क्या है इस पायलट प्रोग्राम की खास बातें?

US:
  • यह नियम 20 अगस्त 2025 से 5 अगस्त 2026 तक लागू रहेगा।

  • केवल B1 (बिजनेस) और B2 (पर्यटन/मनोरंजन) वीज़ा होल्डर्स के लिए लागू होगा।

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  • बॉन्ड की राशि $5,000, $10,000 और $15,000 हो सकती है।

  • कौन कितना बॉन्ड देगा, इसका फैसला अमेरिकी दूतावास के अधिकारी करेंगे – जैसे कि आवेदक की नौकरी, इनकम, शिक्षा और यात्रा का उद्देश्य।

  • यात्रियों को अमेरिका में किसी खास पोर्ट से एंट्री और एग्जिट करना होगा।

किस-किस देशों पर पड़ेगा असर?

हालांकि अमेरिका ने अभी तक प्रभावित देशों की अधिकारिक सूची जारी नहीं की है, लेकिन कहा गया है कि यह उन देशों पर लागू होगा जहां के नागरिकों द्वारा ओवरस्टे करने की दर काफी ज्यादा है।

इसमें कई अफ्रीकी देशों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है, और भारत जैसे देशों के लिए भी चिंता की स्थिति बन सकती है अगर भविष्य में सूची में नाम आता है।

बॉन्ड क्यों जरूरी है?

अमेरिका सरकार का मानना है कि जब यात्रियों से इतनी बड़ी रकम की बॉन्ड ली जाएगी, तो वे वीज़ा के नियमों का पालन करेंगे और समय पर देश छोड़ेंगे।
यह एक तरह से “डिप्लोमैटिक टूल” भी है – ताकि दूसरे देश अपने नागरिकों की वीज़ा स्क्रीनिंग में सुधार करें और अमेरिका की नीतियों का सम्मान करें।

पहले भी उठ चुका है मुद्दा

2020 में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के दौरान भी ऐसा प्रस्ताव सामने आया था, जिसमें कुछ अफ्रीकी देशों को टारगेट किया गया था। अब जो पायलट प्रोग्राम लागू हुआ है, वो उसी दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

US Visa Bond Policy

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