Zero Waste, 100% Profit: कचरे से करोड़ों की कमाई: नितिन गडकरी का विज़न जो बदल सकता है भारत की किस्मत
भारत में हर दिन लाखों टन कचरा निकलता है, जो आमतौर पर हमारी नजरों में ‘बेकार’ होता है। लेकिन अगर यही बेकार चीज़ें देश की अर्थव्यवस्था में एक नया अध्याय जोड़ दें तो? केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि अगर भारत अपने ठोस और तरल कचरे का सही तरीके से प्रबंधन करे, तो यह 5 लाख करोड़ रुपये का कारोबार बन सकता है। यह न सिर्फ एक कल्पना है, बल्कि गडकरी खुद इस विचार को जमीन पर उतार चुके हैं। उन्होंने अपने अनुभवों के जरिए बताया कि कैसे कचरा देश की अर्थव्यवस्था का एक अदृश्य खजाना बन सकता है।
Zero Waste, 100% Profit: कचरे में छुपा है भविष्य का भारत
टाइम्स ऑफ इंडिया सोशल इम्पैक्ट समिट में बोलते हुए नितिन गडकरी ने स्पष्ट किया कि कचरे की रिसाइक्लिंग से सिर्फ पैसा नहीं कमाया जा सकता, बल्कि इससे लाखों रोजगार भी पैदा किए जा सकते हैं। उन्होंने नीति आयोग से आग्रह किया कि इस दिशा में एक ठोस और राष्ट्रव्यापी नीति बनाई जाए, ताकि हर राज्य, हर शहर, हर गांव इस संभावना का पूरा लाभ उठा सके। उनके अनुसार, कचरे को रिसाइकल कर ऊर्जा, खाद, ईंधन और यहां तक कि औद्योगिक उपयोग का पानी भी तैयार किया जा सकता है।
Zero Waste, 100% Profit: गडकरी ने बताया खुद का उदाहरण: टॉयलेट वॉटर से 300 करोड़ की कमाई!
गडकरी सिर्फ बातें नहीं करते, बल्कि करके दिखाते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले नौ वर्षों से वे अपने क्षेत्र से ट्रीट किए हुए टॉयलेट पानी को बेच रहे हैं और इससे हर साल ₹300 करोड़ की कमाई होती है। यह पैसा न सिर्फ स्थानीय विकास में लगता है बल्कि यह दिखाता है कि यदि सोच बदली जाए, तो संसाधनों की कोई कमी नहीं।
मथुरा मॉडल: एक शहर जो मिसाल बन गया
गडकरी ने अपने संबोधन में मथुरा के कचरा ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि मथुरा में ऑर्गेनिक तरीके से कचरा ट्रीट किया जाता है और उससे निकलने वाले कीचड़ को बायो-फ्लोकुलेंट्स में बदला जाता है। पहले यही गंदा पानी यमुना नदी को प्रदूषित करता था, लेकिन अब इंडियन ऑयल रिफाइनरी उसे उपयोग में ले रही है। यह एक स्पष्ट उदाहरण है कि किस तरह से हम पर्यावरण की रक्षा करते हुए व्यावसायिक लाभ भी उठा सकते हैं।
Zero Waste, 100% Profit: प्लास्टिक से ईंधन, सीवेज से पानी और बायोमास से ऊर्जा
गडकरी का कहना है कि प्लास्टिक से ईंधन बनाया जा सकता है, सीवेज के पानी को इंडस्ट्रियल उपयोग में लाया जा सकता है, और कचरे से ऐसे उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं जिन्हें बेचा जा सके। उन्होंने बताया कि आज थर्मल पावर प्लांट्स को कोयले से हटाकर बायोमास (सफेद कोयला) की तरफ मोड़ा जा रहा है, जो न सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि ₹7 प्रति यूनिट की लागत से बिजली उत्पादन में भी सक्षम है।
सिर्फ स्वच्छता नहीं, आत्मनिर्भरता की दिशा
स्वच्छ भारत अभियान की बात अक्सर साफ-सफाई तक ही सीमित रहती है, लेकिन गडकरी ने इस अभियान को आर्थिक आत्मनिर्भरता से जोड़ दिया है। उनका मानना है कि यदि हम ठोस और तरल कचरे को तकनीकी रूप से संसाधित करें तो यह सिर्फ एक स्वच्छ भारत नहीं, बल्कि एक समृद्ध भारत की नींव रख सकता है।
Zero Waste, 100% Profit: कचरा नहीं, अवसर है!
गडकरी की सोच हमें यह सिखाती है कि जो हमें बेकार लगता है, वही सबसे बड़ा संसाधन बन सकता है। भारत का कचरा भारत की ताकत बन सकता है। ज़रूरत है बस नीति, प्रौद्योगिकी और जन-सहभागिता की। अगर यह मॉडल देशभर में लागू होता है, तो आने वाले वर्षों में भारत न केवल पर्यावरणीय संकटों से उबरेगा, बल्कि कचरे से करोड़ों लोगों के जीवन में समृद्धि लाएगा।
उदाहरण: http://गडकरी के बायोफ्यूल इनोवेशन प्रोजेक्ट्स पर Economic Times की रिपोर्ट
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