Who is Soham Parekh: जानिए उस भारतीय टेकी की कहानी जो एकसाथ 5 नौकरियों से रोजाना कमा रहा है ₹2.5 लाख

Who is Soham Parekh: कौन है सोहम पारेख, जो माउस जगलर से करता है खेल और हर दिन कमाता है ₹2.5 लाख?

एक तरफ दुनिया में बेरोजगारी की चिंता है और दूसरी तरफ एक भारतीय टेकी ऐसा शख्स बन गया है जो एकसाथ पांच कंपनियों में काम कर रहा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं सोहम पारेख की, जिन पर अमेरिका के कई स्टार्टअप फाउंडर्स ने एक साथ काम करने और कंपनियों को धोखा देने का गंभीर आरोप लगाया है।इस विवाद की शुरुआत हुई अमेरिका के एक जाने-माने टेक एंटरप्रेन्योर सुहैल दोशी की एक पोस्ट से, जिन्होंने X (पहले ट्विटर) पर लिखा कि भारत का एक लड़का सोहम पारेख एक साथ 3-4 स्टार्टअप्स में काम कर रहा है. सुहैल के अनुसार, सोहम कुछ समय उनके स्टार्टअप में भी काम कर चुका था, लेकिन जैसे ही उसकी सच्चाई सामने आई, उसे एक हफ्ते के अंदर निकाल दिया गया.

कैसे सामने आया मामला?

यह मामला तब चर्चा में आया जब मिक्सपैनल (Mixpanel) के सह-संस्थापक सुहैल दोशी और AI इन्वेस्टर डीडी दास ने सोशल मीडिया पर सोहम पारेख का नाम लेकर उनके काम करने के तरीकों का खुलासा किया। उनका कहना था कि पारेख एक साथ पांच नौकरियां कर रहे हैं, रिमोटली, और कंपनियों को बिना जानकारी दिए मूनलाइटिंग कर रहे हैं।

क्या करता है ‘Mouse Jiggler’?

‘माउस जगलर’ एक ऐसा डिवाइस है जो लगातार माउस को हिलाता रहता है, जिससे कंप्यूटर सक्रिय बना रहता है। इसका मतलब यह होता है कि भले ही कर्मचारी काम पर न हो, सिस्टम उसे ऑनलाइन और एक्टिव दिखाता है। यह तरीका उन लोगों द्वारा अपनाया जा रहा है जो एकसाथ कई कंपनियों के लिए काम कर रहे हैं।

Reddit से लीक हुआ पूरा राज

AI निवेशक डीडी दास ने Reddit के एक थ्रेड के स्क्रीनशॉट शेयर किए जिसमें एक डेटा एक्सपर्ट ने दावा किया कि वह पांच रिमोट नौकरियां कर रहा है और हर दिन $3000 यानी करीब ₹2.5 लाख कमा रहा है। सालाना ये रकम लगभग ₹6.85 करोड़ बनती है। Reddit की Overemployed नाम की कम्युनिटी में ऐसे हजारों लोग हैं जो एकसाथ कई जॉब्स को मैनेज कर रहे हैं।

Who is Soham Parekh: सोहम पारेख कौन हैं?

कौन है सोहम पारेख, अमेरिका की सिलिकॉन वैली से लेकर इंडिया तक हो रही बदनामी

सोहम पारेख एक भारतीय मूल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, जिन्होंने Georgia Institute of Technology से मास्टर्स डिग्री ली है। उन्होंने कई अमेरिकी स्टार्टअप्स में काम किया और खुद को ‘कंसल्टेंट’ बताकर कॉल्स से दूरी बनाए रखी। वे अमेरिका के टाइम जोन के हिसाब से काम करते हैं ताकि भारत में रहकर भी रियल-टाइम में आउटपुट दे सकें।

उनका काम करने का तरीका क्या है?

  1. सोहम खुद को एक कंसल्टेंट बताते हैं ताकि उन्हें डेली कॉल्स से दूरी मिल सके।

  2. वे अपने कैलेंडर को ‘फोकस टाइम’ से ब्लॉक कर देते हैं ताकि मीटिंग्स टाल सकें।

  3. कैमरा बंद रखते हैं और AI टूल्स से तेजी से काम निपटाते हैं।

  4. कुछ काम आउटसोर्स कर देते हैं ताकि समय की बचत हो।

  5. उनका LinkedIn प्रोफाइल अस्पष्ट होता है ताकि किसी को शक न हो।

क्यों मच गया बवाल?

जब यह खुलासा हुआ कि सोहम एकसाथ 5 कंपनियों में काम कर रहे हैं और उन सभी को धोखे में रख रहे हैं, तो टेक इंडस्ट्री में बवाल मच गया। अमेरिका के कई स्टार्टअप फाउंडर्स ने कहा कि उन्होंने इसकी शिकायत भी की, लेकिन सोहम अब भी नौकरी कर रहे हैं।

AI इन्वेस्टर डीडी दास का कहना है कि सोहम पारेख तो केवल “आइसबर्ग का सिरा” हैं, यानी ऐसे हजारों लोग हैं जो आज मूनलाइटिंग करके सिस्टम का फायदा उठा रहे हैं।

मूनलाइटिंग पर बढ़ रही बहस

भारत और अमेरिका दोनों में मूनलाइटिंग (एक साथ कई नौकरियां करना) पर अब बहस तेज हो गई है। कुछ इसे स्मार्ट वर्क बता रहे हैं, तो कुछ इसे धोखा और अनैतिक मान रहे हैं। खासकर ऐसे समय में जब हज़ारों लोग बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग माउस जगलर और AI टूल्स से करोड़ों कमा रहे हैं।

सोहम पारेख की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस ट्रेंड की है जो टेक इंडस्ट्री में तेजी से बढ़ रहा है—Remote Work, Moonlighting और Overemployment. जहां एक तरफ टेक्नोलॉजी ने काम को आसान बनाया है, वहीं यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या यह नैतिक है?

सोहम की तरह हजारों लोग इस सिस्टम का फायदा उठा रहे हैं और कंपनियों को धोखा देकर कई गुना कमाई कर रहे हैं। अब देखना यह है कि क्या कंपनियां ऐसे मामलों पर कड़ा एक्शन लेती हैं या फिर यह चलन और बढ़ता है।

यदि आप ऐसे और चर्चित मामलों की खबरें चाहते हैं, तो SamacharTimes24 के साथ जुड़े रहें।

Leave a Comment